Mahtari Vandana Yojana के लिए DBT वाला बैंक खाता क्या है?
Mahtari Vandana Yojana DBT: DBT का पूरा नाम होता है (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)। यह भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा किसी भी योजना ले तहत आर्थिक सहायता को सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंचाया जाता है। इससे भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है और लाभार्थी को सीधा लाभ पहुंचाया जाता है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि कि आप अपने बैंक खाते को डीबीटी (DBT) वाले खाते में कैसे बदल सकते हैं। यह बहुत आसान है।
Mahtari Vandana Yojana DBT क्या होता है?
DBT” का मतलब है “डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर” (Direct Benefit Transfer), जिसे हिन्दी में “प्रत्यक्ष लाभ भुगतान” भी कहा जा सकता है। सरकार अब अनेक योजनाओं में लाभार्थियों को DBT के माध्यम से ही भुगतान कर रही है। यह तरीका तेज़ है और इसमें भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है।
मतलब है, लाभार्थी के खाते में बिना किसी खाते नंबर के पैसे सफलतापूर्वक भेजना। अक्सर देखा जाता है कि लोगों के आधार कार्ड और बैंक पासबुक में नामों में अंतर होता है, जैसे किसी के नाम की गलत वर्तनी या सरनेम की गलती। इससे लोगों का बैंक KYC नहीं हो पाता। KYC का मतलब है आधार लिंक होना। बैंक खाते में KYC तभी होता है जब आधार कार्ड और बैंक पासबुक में समान नाम हो।
योजना के लिए फॉर्म भरते समय भी गलती से खाता नंबर, IFSC कोड या बैंक का नाम गलत भर दिया जाता है। इससे सरकार द्वारा भेजे गए पैसे अधिकांश लाभार्थियों के खाते में नहीं पहुंच पाते हैं।
उपरोक्त कारणों से सरकार ने DBT के माध्यम से पैसे भेजना शुरू किया। जिनका आधार कार्ड जिस बैंक में लिंक है, उनके खाते में ऑटोमैटिक पैसा भेज दिया जाता है। चूंकि आधार नंबर सभी का एक ही होता है, इसलिए DBT के माध्यम से पैसा भेजने पर 100 % लाभार्थी के खाते में पैसा पहुंच जाता है।
भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभार्थियों के नकद लाभ सीधे उनके बैंक खातों में भेजने के लिए DBT यानी “डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर” नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। इससे अनेक लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाए जाते हैं, जैसे पेंशन, छात्रवृत्ति, एलपीजी सब्सिडी, महतारी वंदन योजना, लाड़ली बहना योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आदि। कई उद्योगों में DBT को अपनाया जा रहा है क्योंकि इससे सरकार लाभार्थियों के खातों में सीधे लाभ का पैसा भेज सकती है, जबकि आधार नंबर बैंक खाते से जुड़ा होता है।
Mahtari Vandana Yojana DBT वाला खाते का इतिहास
डीबीटी (DBT) यानी प्रत्यक्ष लाभ भुगतान, इस कार्यक्रम की शुरुआत 1 जनवरी 2013 को भारत के कुछ चुनिंदा शहरों में की गई थी। पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने 6 जनवरी 2013 को पूर्वी गोदावरी जिले में इस योजना का उद्घाटन किया था।
डीबीटी (DBT) का पहला चरण 43 जिलों में शुरू किया गया था, जिसमें शुरुआत में छात्रवृत्ति और सामाजिक सुरक्षा पेंशन शामिल थी। दिसंबर 2014 से यह लगभग पूरे देश में लागू किया गया है बाद में 34 अन्य योजनाओं के साथ मनरेगा को भी डीबीटी (DBT) के तहत लाया गया।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार द्वारा अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयोजित धन के वितरण में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को खत्म करना है। DBT के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसों को पहुंचाया जाता है जिससे भ्रष्टाचार होने की संभावना नहीं होती है या बहुत कम हो जाती है।
Mahtari Vandana Yojana के लिए DBT वाला बैंक खाता कैसे चालू कराएं
किसी भी सामान्य बैंक खाते को DBT खाते में बदलने के लिए सबसे पहले आपको अपने आधार कार्ड को NPCI की सर्वर से लिंक करना होता है, इसके बाद ही आपके बैंक अकाउंट का डीबीटी (DBT) एक्टिवेट हो जाएगा। इसके लिए आप निम्न उपाय करें:
आपको अपने जिस बैंक में आपका खाता है वहाँ जाना पड़ेगा, और बैंक से या लोक सेवा केंद्रों में बैंक से DBT शुरू करने वाला फॉर्म मिलेगा या सादे कागज में ब्रांच मैनेजर को पत्र लिखना पड़ेगा, पत्र/फॉर्म के साथ अपना बैंक पासबुक और अपने आधार कार्ड की छायाप्रति लगाकर बैंक में जमा करना होगा। बैंक में फॉर्म को जमा करने के बाद बैंक द्वारा आपके खाते में डीबीटी (DBT) ऐक्टिव कर दि जाती है।
बैंक द्वारा आपके खाते में DBT चालू करने के 15 दिन अपडेट होने में लगता है। कुछ ही दिनों में आपका अकाउंट डीबीटी (DBT) अकाउंट बन जाएगा, जिसे आप UIDAI में जाकर अपने आधार नंबर और OTP डालकर आसानी से चेक कर सकतें हैं।
बैंक पासबुक और आधार कार्ड में नाम अलग-अलग होने पर DBT के लिए क्या करें?
- अगर संभव हो तो इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) (डाँक घर) में जाएं, 200 रुपये में तुरंत DBT वाला खाता खोल दिया जाता है, जिसमें DBT 15 दिनों के अंदर चालू हो जाता है। इसके लिए केवल आधार नंबर और कोई भी चालू मोबाईल नंबर चाहिए होता है, जिसमें एक बार OTP जाता है।
- आधार कार्ड के हिसाब से अपने बैंक में जाकर आवेदन देकर अपने बैंक खाते में नाम को सुधारवाया जा सकता है।
- अगर ऊपरोक्त दोनों नहीं कर पाएंगे तब अपने बैंक पासबुक के हिसाब से आधार कार्ड को अपने नजदीकी आधार पंजीयन केंद्र में जाकर सुधार कराया जा सकता है, फिर इस सुधरे हुए आधार कार्ड को बैंक में देकर KYC कराकर खाते में DBT चालू कराया जा सकता है।
अगर खाते में DBT चालू है/ KYC हो गया है तब आप अपने खाते में अपने आधार कार्ड से कहीं से भी पैसा निकासी और जमा कर सकते हैं, बार-बार बैंक जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
अपने कौन सा बैंक खाते में DBT चालू है, ऐसे चेक करें?
अगर आप अपने अकाउंट का डीबीटी (DBT) स्टेटस चेक करना चाहते हैं तो आपको इस वेबसाइट पर जाकर डिटेल भरकर खुद से ही चेक कर सकते हैं कि आपका अकाउंट डीबीटी (DBT) अकाउंट है या नहीं, वेबसाइट है – resident.uidai.gov.in। ऊपरोक्त लिंक में अपने आधार नंबर डालने के बाद आधार से लिंक वाला मोबाईल नंबर में एक OTP जाएगा, जिस OTP को डालने के बाद आधार का मुख्य वेबसाईट खुल जाता है, फिर उसमें “Bank Seeding Status” पर क्लिक करना है। जैसे –
Bank Seeding Status पर क्लिक करने के बाद अगर आपका DBT चालू है और जिस बैंक में चालू है, उसका नाम, खाते का अंतिम 4 अंक आदि दिखा देता है, और अगर DBT चालू नहीं है तो Inactive लिखा होता है, जैसे –
Mahtari Vandana Yojana DBT वाला बैंक खाते का लाभ
Mahtari Vandana Yojana DBT वाला बैंक अकाउंट होने के बहुत सारे फायदे हैं जो कि निम्न हैं:
- – भ्रष्टाचार को दूर करने में सहायता करता है।
- – योजनाओं के पैसे चोरी होने के संभावना को समाप्त कर दिया जाता है।
- – पैसे सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजे जाते हैं।
- – इससे वित्तीय समावेश को बढ़ावा मिलता है।
- – कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- – अधिक लोग आधिकारिक वित्तीय प्रणाली का उपयोग कर पाते हैं।
- – सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को वित्तीय सहायता तक पहुंचाने में मदद मिलती है।
- – लाभार्थियों को लाभ का वितरण सीधे और तेजी से होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- – यह वित्तीय स्थिति को स्थिर करने और लोगों को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने में मदद करता है।
- – बैंक खाते के माध्यम से लाभार्थियों को बैंक सेवाओं का लाभ भी मिलता है, जैसे कि ब्याज और अन्य सेवाएं।
- – वित्तीय सहायता के लिए डीबीटी का उपयोग करना आर्थिक संयम को बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग धन अच्छे तरीके से प्रयोग करने के लिए प्रेरित होते हैं।
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